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चिप डिजाइनर में करियर

Updated: Dec 15, 2023


टेक्‍नोलॉजी ने जहां लोगों के जीवन को सरल और आधुनिक बना दिया है, वहीं टेक्‍नोलॉजी के कई क्षेत्रों में करियर के शानदार विकल्‍प भी उभ्‍ार कर सामने आए हैं। चिप डिजाइनिंग असेंबलिंग पैकेजिंग और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में देश को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में तमाम क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिप डिजाइनर्स की आवश्यकता होगी। इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग के स्टूडेंट चिप डिजाइनिंग में विशेषज्ञता हासिल कर इस क्षेत्र में आकर्षक करियर बना सकते हैं ...

टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है उसमें चिप डिजाइनिंग इंडस्‍ट्री ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर आप भी इंजीनियरिंग में रूचि रखते हैं और साथ ही चैलेंजिंग काम करना चाहते हैं तो चिप डिजाइनिंग में करियर बना सकते हैं। हमारे रोजमर्रा के जीवन में माइक्रोचिप/चिप की भूमिका बढ़ती जा रही है।

मोबाइल फोन, टैबलेट, कंप्यूटर, टीवी और एसी रिमोट, डिश वाशर्स, वाशिंग मशीन, एटीएम मशीन से लेकर कार, राकेट, ड्रोन एवं मिसाइल्स तक में चिप का इस्तेमाल हो रहा है। सेमीकंडक्टर से जुड़े रिसर्च एवं डेवलपमेंट में भारत पहले से एक लीडर रहा है। लेकिन अब सरकार ने सेमीकंडक्टर के विकास एवं डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को भी प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है।इसके तहत केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में देशभर के 120 शैक्षिक संस्थानों के 85 हजार से अधिक बीटेक, एमटेक एवं पीएचडी छात्रों को चिप डिजाइनिंग में प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। सी-डैक में इंडिया चिप सेंटर सेटअप तैयार किया जा रहा है। मंत्रालय ने वर्ष 2021 में स्पेशल मैनपावर डेवलपमेंट प्रोग्राम (चिप्स टु सिस्टम डिजाइन) के तहत एक पायलट प्रोजेक्ट भी किया था, जिसके जरिये देशभर के पचास हजार से अधिक इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने चिप डिजाइनिंग में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।


चिप डिजाइनर क्या करते हैं-चिप सिलिकॉन का एक छोटा और पतला टुकड़ा होता है जो मशीनों के लिए इंटीग्रेटेड सर्किट बेस का काम करता है। चिप डिजाइनिंग की मदद से बड़े आकार के उपकरणों को भी छोटे आकार में बदला जा सकता है।चिप या इंटीग्रेटेड सर्किट या आइसी एक छोटी चिप होती है, जो एम्प्लीफायर, वाइब्रेटर, टाइमर, माइक्रोप्रोसेसर या फिर कंप्यूटर मेमोरी के रूप में कार्य कर सकती है। आइसी एक छोटा-सा वेफर होता है, जो आमतौर पर सिलिकान का बना होता है। इसमें बहुत सारे छोटे-छोटे ट्रांजिस्टर लगाए जाते हैं, जिससे इसके काम करने की स्पीड बढ़ जाती है और बिजली की खपत कम हो जाती है। एक चिप डिजाइनर का कार्य चिप के आर्किटेक्चर को परिभाषित करना, सर्किट डिजाइन तैयार करना, सिमुलेशंस को रन करना, लेआउट को देखना आदि होता है। यही चिप का परीक्षण और वेरिफिकेशन भी करते हैं। चिप डिजाइनर को वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआइ) डिजाइन इंजीनियर भी कहते हैं।


योग्‍यता-इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ही आमतौर पर चिप डिजाइनर के रूप में करियर शुरू करते हैं। इसके लिए कंप्यूटर साफ्टवेयर के साथ हार्डवेयर का भी ज्ञान चाहिए होता है। कैंडिडेट को वेरिलाग, वीएचडीएल लैंग्वेज के अलावा, लाइनेक्स आपरेशन, आटोमेशन, डिजिटल सिस्टम डिजाइन, एनालाग सिस्टम डिजाइन, पाइथन आदि की नालेज भी रखनी होती है। आपके पास इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, टेली कम्‍यूनिकेशन या कम्‍प्‍यूटर साइंस में बीई या बीटेक डिग्री होना चाहिए तो आपके लिए ये प्लस पॉइंट होगा । चिप डिजाइनिंग इंडस्‍ट्री में विशेष रूप से डिजाइन, प्रोडक्‍शन, टेस्टिंग, एप्‍लीकेशंस और प्रॉसेस इं‍जीनियरिंग शामिल होता है। वैसे इस क्षेत्र में कुछ संस्थानों द्वारा शॉर्ट टर्मकोर्सेस भी कराए जाते हैं, जिनका संबंध आईसी, सर्किट डिजाइन और माइक्रो प्रोसेसर से होता है।

शैक्षिक योग्यता : जानकारों के अनुसार, इलेक्ट्रानिक्स एवं कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रानिक्स एवं इलेक्ट्रिकल आदि में बीई या बीटेक करने वाले युवा स्पेशलाइजेशन के तौर पर वीएलएसआइ डिजाइनिंग (चिप डिजाइनिंग), एमई (एम्बेडेड सिस्टम्स), एमटेक (एम्बेडेड सिस्टम्स डिजाइन), एमटेक (माइक्रो इलेक्ट्रानिक्स एंड वीएलएसआइ डिजाइन), पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा इन वीएलएसआइ एंड एम्बेडेड सिस्टम आदि कोर्स करके इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। देश के कई शिक्षण संस्थानों में वीएलएसआइ से संबंधित कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। आनलाइन भी कोर्स उपलब्ध हैं। कुछ समय पूर्व आल इंडिया काउंसिल आफ टेक्निकल एजुकेशन ने भी इंटीग्रेटेड सर्किट मैन्यफैक्चरिंग एवं वीएलएसआइ डिजाइन एवं टेक्नोलाजी से संबंधित दो कोर्सों को मान्यता दी है। एआइसीटीई ने तकनीकी संस्थानों के प्रमुख एवं वीसी को पत्र लिखकर ऐसे कोर्सेज शुरू करने को कहा है।


बढ़ रही संभावनाएं : चिप की आज हर क्षेत्र में मांग है। फिर चाहे वह आटोमोबाइल सेक्टर हो, कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स, रोबोटिक्स, मेडिकल इलेक्ट्रानिक्स, स्पेस रिसर्च, डिफेंस रिसर्च या हाई एंड सर्विस। सरकारी क्षेत्र में जहां संचार एवं आइटी प्रौद्योगिकी मंत्रालय, इलेक्ट्रानिक्स डिपार्टमेंट, इसरो सैटेलाइट सेंटर, भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड, सी-डैक, सी-डाट, सेमी कंडक्टर लेबोरेटरी, डीआरडीओ, इसरो, बार्क आदि में चिप डिजाइनर्स की भर्ती की जाती है। वहीं, आइबीएम, मोटोरोला, टीसीएस, एचसीएल, एनालाग डिवाइसेज, लुसेंट, विप्रो के अलावा इंटेल, क्वालकाम, लैम रिसर्च, फिलिप्स सेमीकंडक्टर्स जैसी सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ी दुनिया की बड़ी कंपनियों की नजर भी कुशल युवाओं को नियुक्त करने पर रहती है। एक युवा बतौर चिप आर्किटेक्ट, डिजाइन इंजीनियर, प्रोडक्ट इंजीनियर, टेस्टिंग एवं प्रोसेस स्पेशलिस्ट, फिजिकल डिजाइनर, सर्किट डिजाइनर, एप्लीकेशन/सिस्टम्स इंजीनियर, प्रोसेस इंजीनियर, पैकेजिंग इंजीनियर, सीएडी इंजीनियर आदि के रूप में काम कर सकता है।

कुशल युवा उठा सकते हैं अवसर का फायदा : एनआइईटी के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट रमन बत्रा ने बताया कि चिप डिजाइनर्स की जरूरत देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। आइटी सेक्टर की तरह भारत के युवाओं के सामने इसमें भी पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाने का अच्छा अवसर है। इस दिशा में सरकार और एआइसीटीई ने उल्लेखनीय पहल की है, जिससे शैक्षणिक संस्थान भी अपने छात्रों को वैश्विक जरूरतों के मुताबिक तराशने के लिए प्रेरित हुए हैं।


प्रमुख संस्थान

इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, बेंगलुरु https://iisc.talentsprint.com

आइआइटी मद्रास www.iitm.ac.in आइआइटी गुवाहाटी

www.iitg.ac.in एनआइटी, त्रिची

www.nitt.edu एनआइईटी, ग्रेटर नोएडा

- बिटमैपर इंट्रीगेशन टेक्नोलजी, पुणे, महाराष्ट्र

- सेंट्रल फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांसड कंप्यूटिंग, बेंगलूर

- जामिया मिलीया इस्लामिया, नई दिल्ली




 







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