क्या है वर्चुअल रैम, क्यों स्मार्टफोन के लिए है जरूरी
इन दिनों एक नये शब्द की खूब चर्चा हो रही है- वह है वर्चुअल रैम। फ्लैगशिप फोन के साथ आने वाला यह फीचर अब बजट फोन में भी दिखाई देने लगा है। आने वाले समय में बहुत सारे फोन इस फीचर के साथ आएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्चुअल रैम कैसे कार्य करता है, आपके लिए यह कितना फायदेमंद हो सकता है, परफार्मेंस पर इसका क्या असर होगा? जानें इन सब के बारे में...
इन दिनों अगर आप स्मार्टफोन खरीदने जाएं, तो वर्चुअल रैम, डायनैमिक रैम एक्सपेंशन, एक्सटेंडेड रैम जैसे शब्दों की खूब चर्चा सुनने को मिलती है। वैसे, तो आमतौर पर लोग रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी) शब्द से वाकिफ होते हैं, लेकिन वर्चुअल रैम या एक्सटेंडेड रैम जैसे शब्द अपेक्षाकृत अभी नये हैं। वर्चुअल रैम का कांसेप्ट समझने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि रैम क्या है। स्मार्टफोन की रैम एक वोलाटाइल मेमोरी है, जो किसी भी अन्य प्रकार की स्टोरेज से तेज होती है। जब फोन पर कोई एप्लीकेशन खोलते हैं, तो उसे एक प्रासेस कहा जाता है। इन प्रासेस (मल्टीपल एप्स) को बैकग्राउंड में फिजिकल रैम पर स्टोर किया जाता है। यही वजह है कि जब एप को ओपन करते हैं, तो ये बिना किसी देरी के अपलोड यानी ओपन होते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो वर्चुअल रैम एक ऐसी सुविधा है, जहां फोन के इंटरनल स्टोरेज के एक हिस्से को वर्चुअल रैम के रूप में उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी फोन में 6 जीबी रैम + 128 जीबी स्टोरेज है और वर्चुअल रैम को 2 जीबी तक बढ़ाते हैं, तो तकनीकी रूप से अब आपके पास 8 जीबी रैम और लगभग 126 जीबी इंटरनल स्टोरेज ही होगी।
कैसे करता है कार्य
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह एक वर्चुअल रैम है, जिसका मतलब है कि यह आपके स्मार्टफोन में फिजिकल रूप से मौजूद नहीं होता है। वर्चुअल रैम फोन के इंटरनल स्टोरेज के एक हिस्से को टेंपररी फाइल स्टोर करने के लिए रिजर्व रखता है और जब अधिक रैम की जरूरत पड़ती है, तो फिर इसका इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश कंप्यूटिंग डिवाइस में रैम महत्वपूर्ण होता है। यह निर्धारित करता है कि फोन या यहां तक कि पीसी कितनी तेज या धीमी गति से काम करेगा। रैम जितनी कम होगी, डिवाइस का परफार्मेंस उतना ही धीमा होगा। स्मार्टफोन पर जब मल्टीटास्किंग करते हैं या फिर एक साथ कई एप्स को ओपन करते हैं, तो इसमें रैम का एक बड़ा हिस्सा उपयोग कर रहे होते हैं। ऐसी स्थिति में अधिक रैम की जरूरत पड़ने पर वर्चुअल रैम अस्थायी फाइलों को इस रिजर्व इंटरनल स्टोरेज में भेज देगा। इस तरह इस फिजिकल रैम में अधिक एप्लीकेशन लोड करने के लिए ज्यादा स्थान मिल जाता है।
वैसे, जिन फोन में वर्चुअल रैम की सुविधा नहीं होती है और एक साथ कई सारे एप्स को ओपन करने के बाद जब उपलब्ध रैम के करीब पहुंच जाते हैं, तो एंड्रायड आप्टिमाइजेशन बैकग्राउंड में एप्स से संबंधित टेंपररी फाइल को डिलीट करना शुरू कर देता है। इस प्रक्रिया को रैम आप्टिमाइजेशन कहा जाता है। इससे आप नये एप्स का इस्तेमाल कर पाएंगे, लेकिन इसका एक पहलू यह भी है कि जब पुराने एप्स (जो अभी भी आपके हाल के एप्स स्क्रीन पर दिख रहे होंगे) पर वापस जाते हैं, तो वह फिर से शुरू या रीस्टार्ट होता है, न कि वहां से शुरू होता है, जहां आपने उसे छोड़ा था। एक्सपेंडेबल वर्चुअल रैम इस समस्या का एक हद तक समाधान करता है। याद रखें, वर्चुअल रैम वास्तव में डिवाइस पर कुल रैम आकार को नहीं बढ़ाता है।
क्या वर्चुअल रैम फिजिकल रैम जितनी अच्छी है
यदि परफार्मेंस के हिसाब से देखें, तो फिजिकल रैम हमेशा वर्चुअल रैम से तेज होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रैम की स्पीड हमेशा इंटरनल स्टोरेज की तुलना में तेज होती है, यहां तक कि यह यूएफएस 3.1 की स्पीड को भी पीछे छोड़ सकता है, जो आज हमारे फोन में सबसे तेज इंटरनल स्टोरेज आप्शंस में से एक है। जब हम एक्सपेंडेबल वर्चुअल रैम का उपयोग करते हैं, तो बहुत सारा डाटा रैम से इंटरनल स्टोरेज पर ट्रांसफर हो जाता है, फिर वहां से वापस रैम में आ जाता है। हालांकि इसके लिए मैनुअली कुछ भी करने की जरूरत नहीं होती है। ज्यादा रैम की जरूरत पड़ने पर यह काम फोन खुद ही करता है।
लेकिन यह भी समझना होगा कि यह फीचर इमरजेंसी रिजर्व के लिए है। यह रैम को रिप्लेस नहीं कर सकता। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि 8 जीबी डेडिकेटेड रैम वाला फोन हमेशा 6 जीबी +2 जीबी वर्चुअल रैम से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करेगा, भले ही मैन्युफैक्चरर आपको 6जीबी+2जीबी (वर्चुअल) = 8 जीबी का सुझाव क्यों न दे।
स्मार्टफोन में क्यों आ रहा है यह फीचर: वैसे, यह तकनीक बहुत नई नहीं है। पहले पीसी में देखा गया है, लेकिन अब स्मार्टफोन यूजर्स को अधिक रैम की जरूरत होती है, क्योंकि वे इस पर भारी एप्स का उपयोग कर रहे हैं। देखें, तो कुछ साल पहले तक 4 जीबी रैम पर्याप्त होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। चूंकि हार्डवेयर के माध्यम से अधिक रैम को जोड़ना कठिन और महंगा पड़ता है, इसलिए कंपनियां बिना अतिरिक्त लागत वर्चुअल रैम की सुविधा देने लगी हैं। जब 4के वीडियो रिर्कांिडग और एआर एप्स मुख्यधारा में आएंगे, तो इससे काफी मदद मिलेगी।
वर्चुअल रैम की खूबियां
वर्चुअल रैम के साथ आने वाले फोन की खास बात यह कि कम प्राइस प्वाइंट में ज्यादा रैम की सुविधा मिलेगी।
फिजिकल रैम पर ज्यादा खर्च किए बिना भी बेहतर परफार्मेंस हासिल कर सकते हैं।
एक 6जीबी+2जीबी वर्चुअल रैम वाला फोन 8जीबी रैम वाले फोन के बराबर प्रदर्शन नहीं करेगा, लेकिन यह इससे सस्ता जरूर हो सकता है।
इस फीचर के साथ आने वाला फोन समान रैम वाले अन्य फोन की तुलना में बेहतर रैम मैनेजमेंट पेश करेगा।
यह फीचर गेमर्स और हैवी मल्टी टास्किंग के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि जैसे ही मल्टी टास्किंग में रैम की कमी होगी, इंटरनल स्टोरेज का एक हिस्सा वर्चुअल मेमोरी के तौर पर इस्तेमाल होने लगेगा।
खामियां
वर्चुअल मेमोरी एक साफ्टवेयर फीचर है, जो खाली इंटरनल स्टोरेज का इस्तेमाल टेंपररी रैम के तौर पर करती है। इसलिए यह केवल तभी काम करेगा, जब अतिरिक्त स्टोरेज होगी।
यदि आपका फोन पहले से ही अपनी कुल इंटरनल स्टोरेज की क्षमता के करीब है और वर्चुअल रैम के लिए आवंटित स्पेस भी भर चुका है, तो फिर फोन केवल उस डेडिकेटेड रैम का ही उपयोग करेगा, जो पहले से उसके पास है।
ये हैं भारत की टॉप-5 SpO2 सेंसर वाली शानदार Smartwatch, कीमत 4000 रुपये से कम
Best smartwatch with spo2 sensor in india: आजकल सभी स्मार्टवॉच लेटेस्ट फीचर के साथ आ रही हैं, जिनकी मदद से यूजर्स अपनी सेहत और फिटनेस का ध्यान रख रहे हैं। इन ही फीचर में से एक ब्लड ऑक्सीजन मॉनिटरिंग है। यह फीचर SpO2 सेंसर का इस्तेमाल करके यूजर के ब्लड में ऑक्सीजन को ट्रैक करता है। ऐसे में अगर आप अपने लिए SpO2 सेंसर वाली किफायती स्मार्टवॉच की तलाश कर रहे हैं, तो हम आपको इस खबर में भारतीय बाजार में उपलब्ध कुछ चुनिंदा वॉच के बारे में बताएंगे, जिनकी कीमत 4000 रुपये से कम है।
CrossBeats IGNITE
CrossBeats IGNITE स्मार्टवॉच को 3,299 रुपये की कीमत पर खरीदा जा सकता है। यह स्मार्टवॉच ब्लैक और ग्रीन कलर ऑप्शन में उपलब्ध है। इस स्मार्टवॉच में 1.28 इंच का राउंड डिस्प्ले है। इसमें कई सारे क्लाउड बेस्ड वॉच फेस दिए गए हैं। इस स्मार्टवॉच को 5 ATM की रेटिंग मिली है। इसका मतलब है कि यह वॉच वाटर रेसिस्टेंट है। इसके अलावा क्रोसबीट्स IGNITE में हार्ट-रेट, Spo2 सेंसर समेत 14 स्पोर्ट्स मोड का सपोर्ट मिलेगा।
Fire-Boltt Beast
Fire-Boltt Beast स्मार्टवॉच की कीमत 3,499 रुपये है। इस स्मार्टफोन में 1.69 इंच का डिस्प्ले है। इसकी पीक ब्राइटनेस 500 निट्स है। इसमें 24 घंटे हार्ट-रेट और ब्लड में ऑक्सीजन लेवल मॉनिटर करने वाले सेंसर दिए गए हैं। इस स्मार्टवॉच में कई सारे स्पोर्ट्स मोड मिलेंगे, जिनमें रनिंग, वॉकिंग और साइकलिंग जैसी एक्टिविटी शामिल हैं। इसके अलावा फायर-बोल्ट बीस्ट स्मार्टवॉच में दमदार बैटरी दी गई है। कंपनी का दावा है कि इसकी बैटरी सिंगल चार्ज में 8 दिन का बैकअप देती है, जबकि स्टैंड बाय टाइम में 360 घंटे का बैकअप मिलता है।
realme Watch 2
realme Watch 2 स्मार्टवॉच 3,499 रुपये की कीमत पर उपलब्ध है। इसमें 1.4 इंच का कलर डिस्प्ले दिया गया है। यह स्मार्टवॉच ब्लड ऑक्सीजन लेवल और हार्ट-रेट मॉनिटर करने में सक्षम है। इसमें 90 स्पोर्ट्स मोड और 100 से अधिक वॉच फेस दिए गए हैं। इसके अलावा वॉच में दमदार बैटरी मिलेगी, जो सिंगल चार्ज में 12 दिन का बैकअप देती है।
Noise Fit Active
न्वाइज की यह शानदार स्मार्टवॉच में से एक है। इसकी कीमत 3,999 रुपये है। Noise Fit Active में 1.28 इंच की स्क्रीन है। इसमें कई क्लाउड बेस्ड वॉच फेस दिए गए हैं। इस स्मार्टवॉच में Spo2, हार्ट-रेट और स्लीप मॉनिटर करने वाला सेंसर मिलेगा। इसके अलावा स्मार्टवॉच में 14 स्पोर्ट्स मोड समेत फाइंड माय फोन, टाइमर, स्टॉपवॉच, म्यूजिक कंट्रोल और कॉल-मैसेज नोटिफिकेशन जैसे फीचर की सुविधा दी गई है।
huami Amazfit Bip U अमेजफिट बिप यू स्मार्टवॉच को केवल 3,999 रुपये की कीमत पर खरीदा जा सकता है। इस स्मार्टवॉच में 1.43 इंच का कलर डिस्प्ले है। इसकी सुरक्षा के लिए Corning Gorilla 3 का इस्तेमाल किया गया है। इसको 5ATM की रेटिंग मिली है। इसका मतलब है कि वॉच का उपयोग पानी में किया जा सकता है। इसके अलावा अमेजफिट बिप यू में SpO2, हार्ट-रेट और स्ट्रेस लेवल मॉनिटर की सुविधा मिलेगी। अन्य फीचर की बात करें तो इस स्मार्टवॉच में इन-बिल्ट वॉच फेस, 60 से अधिक स्पोर्ट मोड्स और म्यूजिक-कैमरा कंट्रोल का सपोर्ट मिलेगा।
Коментари