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Writer's pictureAJAY SHARMA

Zero To Hero - ऑप्शन इंडिकेटर

Updated: Aug 10, 2023


शेयर मार्केट में अगर ट्रेडिंग करना है और लंबे समय तक टिकना है तो इसमें टेक्निकल इंडिकेटर को जानना बहुत जरुरी होता है I और इसके बारे में हर ट्रेडर को जानकारी होनी . चाहिए अलग-अलग ट्रेडर अपने हिसाब से इंडिकेटर का यूज़ करते हैं और फिर इंडिकेटर की मदद से ही आप सही समय पर इसका उपयोग करके पैसा कमा सकते हैं I टेक्निकल इंडिकेटर की मदद से आप अपने प्रॉफिट को कई गुना बढ़ा सकते हैं , और एक्यूरेसी बढ़ने के साथ आपके डेली प्रॉफिट में भी इजाफा होना तय है I यहां मैं कुछ बेसिक इंडिकेटर के बारे में बताऊंगा जो कि आपको डेली ऑप्शन ट्रेडिंग मदद करेंगे I

ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर क्या होते है?

ट्रेडिंग करते समय स्टॉक के चार्ट पर उपयोग किए जाने वाले तकनीकी टूल को ही ‘टेक्निकल इंडिकेटर’ कहते हैं। इनका उपयोग शेयर प्राइस का मोमेंट [ऊपर या निचे ] करने के लिए किया जाता है। ट्रेडिंग में ये इंडिकेटर्स चार्ट पर विभिन्न रेखाओं के द्वारा दर्शाए जाते हैं।

ट्रेडिंग में टेक्निकल इंडिकेटर कुछ mathematical calculations यानी गणितीय गणनाओं के आधार पर काम करते हैं। ये इंडिकेटर्स शेयर के प्राइस और वॉल्यूम को एनालिसिस करके उसके ट्रेंड या रिवर्सल के बारे में बताते हैं।

ये सभी टैक्निकल इंडीकेटर्स गणित के कुछ फार्मूला के द्वारा करंट प्राइस और हिस्टोरिक शेयर प्राइस डेटा का उपयोग करके शेयर प्राइस के बढ़ने या घटने का संकेत देते हैं।


ये तकनीकी इंडिकेटर आपको सही समय पर ट्रेडिंग के मौके खोजने में मदद करते हैं। मतलब आपको शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए इसके बारे में बताते हैं।

जैसे-जैसे शेयर का प्राइस समय के साथ आगे बढ़ता है वैसे-वैसे इंडिकेटर्स भी चार्ट पर प्राइस के साथ साथ ही चलते हैं। इनका फायदा यह है कि अगर शेयर प्राइस बढ़ने या गिरने वाला है तो ये पहले ही संकेत दे देते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि इनकी प्रिडिक्शन 100% सही होती है क्योंकि अगर ऐसा होता तो हर कोई इनका उपयोग करके मालामाल हो जाता। ट्रेडिंग में indicators सिर्फ आपका टेक्निकल एनालिसिस का काम आसान बनाते हैं मतलब शेयर को किस लेवल पर खरीदना और बेचना चाहिए, यह बताते हैं।

कुछ बेसिक इंडिकेटर -

1-ADX[Average Directional Index]-एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स (या ADX संकेतक) एक तकनीकी इंडिकेटर है जिसे बाजार की प्रवृत्ति की ताकत को मापने के लिए बनाया गया है।

यह इंडिकेटर बाजार की दिशा में यानी कि मूवमेंट किस भी दिशा में हो रही हो उस दिशा में मार्केट के पावर को दर्शाता है I यानी कि लोगों का रुझान उस दिशा में कितना है , यह इंडिकेटर का इस्तेमाल जब भी करें तो इसकी वैल्यू 23 से ज्यादा होने पर ही आप ट्रेड ले क्योंकि इस वैल्यू के आगे बाजार की दिशा ऊपर या नीचे की साइड में निर्धारित होने लगती है I

2-RSI Indicator- RSI यानी रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स एक पॉपुलर टेक्निकल इंडिकेटर है जो शेयर प्राइस के बढ़ने या घटने के मोमेंटम यानी speed को मापता है। आरएसआई ऑसिलेटर, जो 0 से 100 तक का एक पैमाना है, को उपयोग करके ओवरबॉट या ओवरसोल्ड लेवल और संभावित ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाया जाता है।

RSI 14 दिन के टाइम फ्रेम पर काम करता है और ये ट्रेडर को हेल्प करता है मार्केट डायरेक्शन को आइडेंटिफाई करने में।

3- MACD Indicator-MACD) एक पॉपुलर तकनीकी संकेतक है जो ट्रेडर्स को ट्रेंड, मोमेंटम और पोटेंशियल ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बताता है। MACD इंडिकेटर की कैलकुलेशन मूविंग एवरेज से की जाती है और ये एक ऑसिलेटर है जो जीरो लाइन के ऊपर और नीचे ऑसिलेट करता है।


  • जब MACD लाइन जीरो लाइन के ऊपर जाती है, तब ये बुलिश सिग्नल होता है, जो बताता है कि प्राइस ऊपर जा सकता है और इस समय ट्रेडर को कॉल साइड जाना चाहिए । और जब MACD लाइन जीरो लाइन के नीचे जाती है, तब ये मंदी का संकेत होता है, जो बताता है कि शेयर प्राइस में गिरावट की संभावना है , इस समय ट्रेडर को पुट साइड जाना चाहिए।

4. Moving Average Indicator-ये इंडिकेटर पिछले प्राइस डेटा के एवरेज को कैलकुलेट करके करेंट प्राइस एक्शन के साथ तुलना करता है। मूविंग एवरेज की length अलग-अलग हो सकती है, लेकिन 50-दिन, 100-दिन, और 200-दिन MA सबसे आम है।

  • अगर कीमत MA के ऊपर है, तब ये एक बुलिश सिग्नल हो सकता है और संभावित अपट्रेंड संकेत करता है।

  • और अगर कीमत MA के नीचे है, तब ये एक मंदी का संकेत हो सकता है और संभावित गिरावट का संकेत देता है।

मूविंग एवरेज के क्रॉसओवर भी महत्वपूर्ण सिग्नल प्रोवाइड करते हैं – जब शॉर्ट-टर्म MA लॉन्ग-टर्म MA को क्रॉस करता है, तब ये ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाने में मदद करता है।



5. Supertrend Indicator-ट्रेडिंग में सुपरट्रेंड वह इंडिकेटर है जो ट्रेडर्स को ट्रेंड डायरेक्शन और संभावित ट्रेंड रिवर्सल के बारे में बताता है।

सुपरट्रेंड में दो लाइन होती हैं – upper लाइन जो ट्रेंड के डायरेक्शन को बताती है और lower लाइन जो ट्रेंड के रिवर्सल को बताती है।

सुपरट्रेंड का कैलकुलेशन पिछले दिन के हाई, लो, और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर होता है।


  • अगर price सुपरट्रेंड के ऊपर है, तब ये एक संभावित bullish सिग्नल हो सकता है और इंडिकेट करता है कि प्राइस अपट्रेंड में है।

  • और अगर price सुपरट्रेंड के नीचे है, तब ये एक पोटेंशियल bearish सिग्नल हो सकता है और इंडिकेट करता है कि प्राइस डाउनट्रेंड में है।

  • Supertrend के सिग्नल को कन्फर्म करने के लिए ट्रेडर्स दूसरे इंडिकेटर और प्राइस एक्शन को भी मानते हैं।

यह जानकारी सिर्फ एजुकेशनल परपज के लिए है ट्रेड लेते समय या शेयर बाय करते समय जरूर एक्सपर्ट की सलाह ले Iऊपर दी गई जानकारी 100 % सही नहीं होता है लाइव ट्रेडिंग के दौरान इंडिकेटर के साथ-साथ ट्रेडर का एक्सपीरियंस भी मैटर करता है और सही समय पर सही इंडिकेटर का यूज करके ट्रेड लिया जाता है I

Watch my Video On Option Indicators-





 







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