5G के फायदे और नुकसान
Updated: Dec 15, 2023
5G क्या है -सिंपल भाषा में कहें तो यह 5TH जनरेशन का एडवांस मोबाइल नेटवर्क है I1g ,2G ,3G, 4G , नेटवर्क के बाद इसको लॉन्च किया गया है यह एक नए तरह का नेटवर्क है जिसे कई चीजों या यह कहें कि भविष्य को देखते हुए डिजाइन किया गया है Iजो कि कई मायनों में हमें पिछले नेटवर्क से बेहतर रिजल्ट देगा मतलब यह कि यह हाई स्पीड सबसे कम लेटेंसी दर बेहतर कवरेज और एक सा अनुभव अपने सभी यूजर को कराने वाला टेक्नोलॉजी होगा I इसके बेहतर परफॉर्मेंस और पिछले नेटवर्क से बेहतर ज्यादा पावर के द्वारा हम और अधिक नई इंडस्ट्री से कनेक्ट हो पाएंगे I
अब बात यह है कि 5G का मालिक कौन होगा इसका जवाब यह होगा कि एकल स्वामित्व इस नेटवर्क पर किसी का नहीं होगा क्योंकि इस टेक्नोलॉजी पर कई कंपनियां साथ मिलकर काम कर रही हैं इन सब में कॉल काम कंपनी का मेन रोल है जो कि आई सी इंटीग्रेटेड चिप बनाने वाली मुख्य कंपनियों में से एक है I
5G मतलब gbps गीगाबाइट पर सेकंड डाटा कम्युनिकेशन की भाषा में गीगाबाइट्स को एक बिलियन बीट्स कहा जाता है यानी कि एक बार एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट में डाटा ट्रांसफर को दर को सेकंड के हिस्से से नापा जाता है इसे ऐसे समझें
10 Gigabits ईथरनेट स्पीड -10Gbits/Second-1250मेगाबाइट पैर सेकण्ड
Gbits/second-625 मेगाबाइट पैर सेकण्ड
625 मेगा बाइट पर सेकंड यानी जीबीपीएस और एमबीपीएस की स्पीड को मेजर करते हैं वही वाइट का इस्तेमाल किसी भी स्टोरेज कैपेसिटी को मेजर करने में किया जाता है I
5G को एक OFDM टेक्नोलॉजी पर काम करता है यानी ऑर्थो गनल फ्रिकवेंसी डिविजन मल्टीप्लेक्सिंग जिसमें इंटरफ्रेंस को रोकने के लिए डिजिटल Signal को कई छोटे-छोटे नेरोबैंड Signal में कन्वर्ट कर इस्तेमाल किया जाता है जिससे कि रास्ते में उनको Losess का सामना कम से कम करना पड़ता है यह संभव होता है उसके खास तरह के ऑर्थो गनल डिजाइन के कारण इसको और अच्छे से समझते हैं I अगर आपको ढेर सारा पैसा एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़े तो शायद यह थोड़ी दिक्कत वाली बात होगी कोई क्योंकि कोई अनहोनी होने पर आपका सारा पैसा खो जाने का या उसका नुकसान पहुंचने का डर होगा लेकिन अगर आप इन पैसों को अलग-अलग भागों में करके इसको अलग-अलग व्यक्ति के द्वारा उस स्थान पर ले जाया जाए तो यह शायद सुरक्षित होगा ठीक इसी तरह 5G टेक्नोलॉजी में टाटा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है I
4जी और 5G का बेसिक एक जैसा है लेकिन नए रिसर्च के कारण टेक्नोलॉजी OFDM के जुड़ने से इसमें क्रांतिकारी सुधार सुधार हुआ है 5G को लो बैंड और हाई बैंड दोनों पर कार्य करता है जिसके कारण इसमें लेटेंसी दर 3G और 4G के मुकाबले बहुत कम है I लेटेंसी की दर से ही हम किसी नेटवर्क की गुणवत्ता की माफ करते हैं यानी जब हम नेट सर्फिंग के दौरान एक वेबसाइट से दूसरे वेबसाइट पर जाते हैं तो आपने देखा होगा कि वेबसाइट को खुलने में कुछ समय लगता है या सिंपल उसे बफरिंग कहा जाता है और कभी कभी वीडियो प्ले के दौरान बफरिंग होता है इसी को लेटेंसी दर कहते हैं हर नेटवर्क कंपनी इसको जीरो या उसके बहुत नजदीक रखने की कोशिश करते हैं लेटेंसी को मिली सेकंड में मापा जाता है और स्पीड टेस्ट की भाषा में PING RATE कहा जाता है PING RATE जितना ज्यादा हो उतना अच्छा माना जाता है I
PING RATE < 100MS- Acceptable LATENCY <30-40 MS Desirable
लेटेंसी या Ping Rate ठीक उसी तरह है जैसे अगर आपको अपने घर से किसी नजदीक के रेस्टोरेंट में जाना है और अगर रास्ता भीड़भाड़ वाला नहीं है ज्यादा घुमावदार या उतार-चढ़ाव नहीं है तो आप जल्द पहुंचेंगे और अगर ठीक इसके विपरीत है तो ज्यादा समय लगेगा इसको और अच्छे से समझते हैं I
एक जगह से दूसरी जगह डाटा ट्रांसफर का एक माध्यम होता है अब मान लेते हैं कि वह एक सामान्य पाइप है जिसे बैंडविथ कहते हैं जो कि टेक्निकल Term है Iपाइप ज्यादा मोटा है तो ज्यादा डाटा को ट्रांसफर कर सकते हैं और अगर ज्यादा पतला है तो कम डाटा ट्रांसफर होगा जिसके कारण लेटेंसी दर बढ़ेगा इसके अलावा भी कई कारण से लेटेंसी रेट कम होता है I
इससे पहले कि मोबाइल जनरेशन के बारे में कुछ बातकरते हैं -
फर्स्ट जनरेशन 1980 1G- वॉइस या वीडियो को एनालॉग माध्यम से एक जगह से दूसरे जगह भेजा जाता था जिसमें काफी लॉसेस और खराब क्वालिटी होती थी I
सेकंड जेनेरशन 1990 2G-2G के खोज के कारण ही डिजिटल वॉयस में क्रांति आई यानी हम वॉइस यह वीडियो को डिजिटली एक जगह से दूसरे जगह ट्रांसफर करने में सक्षम हो गए हैं जिसकी क्वालिटी फर्स्ट जनरेशन से काफी अच्छी थी I
थर्ड जनरेशन 2000 3G-यहां से CDMA टेक्नोलॉजी के द्वारा वीडियो और वॉइस को एक जगह से दूसरे जगह भेजा जाने लगा I
फोर्थ जनरेशन 2010 4G-यह टेक्नोलॉजी ऊपर दिए गए सभी टेक्नोलॉजी से अच्छा है और आज हम सभी इसी का यूज कर रहे हैं और आने वाले दिनों में हमें 5G की सुविधा मिलने वाली है जो फोर्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी से भी काफी अच्छा होगा I
5G 4G से कितना अच्छा है I
1-4G से ज्यादा फास्ट है I
2-4G से ज्यादा क्षमता है I
3-4G से काफी कम लेटेंसी रेट है I
4-4G से बैटर स्पेक्ट्रम पर काम करता है I
4G LTE, 3G की अपेक्षा बहुत तेज ब्रॉडबैंड सर्विस है लेकिन 5G का डिजाइन ऐसा है कि इसका ब्रॉडबैंड तो तेज है ही जिसके कारण IOT जैसे सर्विस को काफी फायदा होगा 5 की सभी स्पेक्ट्रम को सपोर्ट करता है वही यह Mid, Low और High बैंड पर ही कार्य करता है I
5G कम लेटेंसी के वजह से यह ज्यादा रियल टाइम डाटा देता है ऊपर में या अभी हाल फिलहाल आप ने स्पेक्ट्रम के बारे में सुना होगा और इंडिया में अभी कुछ महीने पहले 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी तो आइए जानते हैं स्पेक्ट्रम क्या होता है -
आसान शब्दों में स्पेक्ट्रम मोबाइल इंडस्ट्री से संबंधित एक टेक्निकल वर्ड है जिसका सीधा और Airwave के जरिए दिए गए radio-frequency पर संचार व्यवस्था को स्थापित करना है I मोबाइल इंडस्ट्री में जिसके पास कवरेज और बैंड ज्यादा होगा वही ज्यादा से ज्यादा लोगों को सर्विस और तेज स्पीड दे पाएगा क्योंकि इसी के द्वारा मोबाइल कंपनियां अपने यूजर्स को इंटरनेट सेवा उपलब्ध करवाती है स्पेक्ट्रम जिसे हम रेडिएशन भी कह सकते हैं यह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाती और इन्हीं के जरिए हम टीवी और रेडियो देख पाते हैं मोबाइल चला पाते हैं यह कहना गलत नहीं होगा कि संपूर्ण डिजिटल दुनिया का आधार स्पेक्ट्रम या विद्युत चुंबकीय तरंगे है I
इन्हीं तरंगों के माध्यम से विभिन्न डिजिटल उपकरण एक दूसरे से कम्युनिकेट कर पाते हैं और इसी का इस्तेमाल कई उपकरण जैसे टीवी ,मोबाइल ,जीपीएस एयर ट्रैफिक आदि को कंट्रोल करने में किया जाता है Iऔर इन तरंगों का सरकार का नियंत्रण होता है इसका कुछ हिस्सा रक्षा के क्षेत्र में और कुछ कमर्शियल यूज़ के लिए रखा जाता है Iऔर रेडियो तरंगों का वह भाग जिसमें सरकारों द्वारा मोबाइल दूरसंचार के लिए आवंटित किया जाता है उस हिस्से को टेलीकॉम स्पेक्ट्रम कहा जाता है बाकी संसाधनों की तरह स्पेक्ट्रम भी एक संसाधन हैं जिसे सरकारें उसे बेचकर पैसा कमाती है टेलीकॉम स्पेक्ट्रम 800 - 300 मेगाहर्ट्ज के मध्य फैला हुआ है Iदेश कि कुल 22 टेलीकॉम सर्किल में बांटा गया है और टेलीकॉम सर्किल के लिए नीलामी प्रत्येक सर्किल के लिए अलग-अलग की जाती है और सबसे ज्यादा बोली Low Frequency वाली तरंगों पर लगाई जाती है I इसको ऐसे समझें कि किसी भी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव की फ्रीक्वेंसी जितनी अधिक होगी वह किसी सिग्नल को प्रसारित करने में उतनी ही ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा इसके विपरीत Low Frequency सिग्नल कम ऊर्जा में अधिक दूरी तक कवरेज दे दी हैं और यह तरंगे उनके मार्ग में आने वाली बिल्डिंग इत्यादि से प्रभावित नहीं होती और बेहतर कवरेज देती हैं और लगभग सारी टेलीकॉम कंपनी ज्यादा कवरेज के सिद्धांत पर कार्य करती है I ऐसे में वह कम टावर लगाकर अपनी सेवा को देती हैं जिससे उनका खर्च प्रति टावर कम आता है I वही हाई फाई के सिग्नल को प्रसारित करने में ज्यादा टावर लगाने पड़ेंगे क्योंकि उसका high-frequency ज्यादा लंबी दूरी तक नहीं जाता है और वह रास्ते में पढ़ने वाली बाधा से भी प्रभावित हो जाता है I
5G के आने से ग्लोबल इकनोमिक पर क्या असर पड़ेगा -तो लगभग 13 ट्रिलियन डॉलर के ग्लोबल इकोनामी को लाभ मिलेगा और लगभग 22 मिलियन नया जॉब क्रिएट हो जायेगा I यानी यह टेक्नोलॉजी पहले नेटवर्क 4G से ज्यादा क्रिएटिव है अपने इंडिया में भी अक्टूबर 2022 से मेजर मेट्रो सिटी में इस सेवा की शुरुआत होगी जिसकी Announcement भी हो चुकी है I 5G की सेवाओं का आनंद लेने के लिए 5G कंपैटिबल मोबाइल फोन का होना चाहिए आजकल बाजार में या ऑनलाइन 5G मोबाइल फोन कई ऑफर साथ उपलब्ध है I तो देर किस बात की आप भी 5G मोबाइल फोन के साथ एक बेहतर कल की शुरुआत कीजिए I
इंसानों की सेहत पर बुरा असर डालेगा 5जी नेटवर्क? जानिए क्या है सच्चाई-
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 5G नेटवर्क की रेडियो मैग्नेटिक तरंगें (Radio Magnetic Waves) शरीर के टिशूज को नुकसान पहुंचा सकती हैं. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों की राय इससे उलट है और उनका तर्क है कि अगर ऐसा कुछ होता तो जिन देशों में 5G नेटवर्क पहले से काम कर रहा है वहां इसका असर दिखाई दे रहा होता.
5G नेटवर्क एक प्रकार की ऊर्जा पैदा करके काम करता है, जिसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कहा जाता है. यह पिछले वायरलेस नेटवर्क की तुलना में ज्यादा फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है, जिससे इसकी तेज स्पीड ज्यादा होती है और इसकी क्षमता भी ज्यादा होती है. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्ऱीक्वेंसी, जैसे कि 5G नेटवर्क से पैदा होने वाली एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) नामक एक क्षेत्र बनाएगा, जो कुछ लोगों के अनुसार मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
कई देशों में पहले से काम कर रहा है 5G
काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च एनालिस्ट चारु पालीवाल ने बताया, 'भारत 5G लॉन्च करने वाला पहला देश नहीं है. लगभग 50 देशों ने हमारे सामने तकनीक को लॉन्च किया है. इसके अलावा, इनमें से अधिकांश देशों जैसे अमेरिका, कोरिया, जापान, यूके ने 5G सालभर पहले लॉन्च किया था. यदि लोगों के लिए कुछ चिंताएं या कुछ वास्तविक स्वास्थ्य खतरे होते हैं, तो हम उन मामलों को अब तक सामने आते देख चुके होते. मुझे नहीं लगता कि इस स्तर पर हमें किसी भी स्वास्थ्य खतरों के बारे में चिंतित होने की जरूरत है. ऐसा कोई अध्ययन भी नहीं है जो इन दावों को सत्यापित कर सके I
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